इस कविता को पढ़ते हुए रघुवीर सहाय की कविता रामदास की याद आती है. परन्तु हबीब साहब की इस कविता की जमीन वहीं लेकिन विवरण अलग है. यह कविता १९६२ में लिखी गई थी. रघुवीर सहाय की रामदास कविता जो ‘हंसो हंसो जल्दी हंसो’ संग्रह में थी का रचना काल १९७०-७५ है. पेश है हबीब तनवीर की कविता…
रामनाथ का जीवन चरित्र
रामनाथ ने जीवन में कपड़े पहने कुल छः सौ गज़
पगड़ी पांच
जुते पन्द्रह
रामनाथ ने अपने जीवन में सौ मन चावल खाया
सब्जी दस मन
फ़ाके किये अनगिनत
शराब दो सौ बोतल
पूजा की दो हजार बार
रामनाथ ने अपने जीवन में धरती नापी कुल जुमला पैंसठ हजार मील
सोया पंद्रह साल
प्यार की रातें उसे मिलीं दो ढाई हजार
उसके जीवन में आईं बीबी के सिवा कुल पांच औरतें
एक के साथ पचास की उम्र में प्यार किया और प्यार किया नौ साल
सत्तर फ़ीट कटवाये बाल
स्त्रह फ़ीट नाख़ून
रुपया कमाया दस हजार या ग्यारह
कुछ रुपया मित्रों को दिया कुछ मंदिर को
और छोड़ा आठ रुपये और उन्नीस नये पैसे का कर्ज
बस यह गिनती रामनाथ का जीवन है
इसमें शामिल नहीं चिता की लकड़ी, तेल, कफ़न
तेरही का भोजन
रामनाथ बहुत हंसमुख था उसने पाया एक संतुष्ट सुखी जीवन
चोरी कभी न की
कभी कभार अलबत्ता कह देता बीबी से झूठ
गाली दी, दो तीन महीने में एक-आध
एक च्युंटी भी नहीं मारी
बच्चे छोड़े सात।
भूल चुके हैं गांव के सबलोग उसकी हर बात
रामनाथ! (हबीब तनवीर-एक रंग व्यक्तित्व में संकलित)
3 टिप्पणियां:
quite realistic.
बहुत बढिया। और भी लिखें अपनी भी।
वाह! यह कविता पढ़वाने के लिये शुक्रिया।
एक टिप्पणी भेजें