सोमवार, 26 अप्रैल 2010

IPL - क्रिकेट

IPL-क्रिकेट
IPL -3 समाप्त हो गया। इस तीन साल में इसे तीन विजेता मिले। कागज पर मजबुत दिखने वाली टीम हारती रहीं और तथाकथित कमजोर टीमों ने बाजी मारी । इसी साल मुम्बई इंडियन्स विजेता के तौर पर उभरा और उसके प्रदर्शन में निरंतरता रहीं, किसी ने सोचा नहीं था कि चेन्नई सुपर किंग्स फ़ाइनल में पहूंचेगी और मुम्बई इंडियन्स से कप छीन लेगी ।

खैर, मेरा कहना कुछ और ही है क्योंकि IPL जब से शुरु हुआ है तबसे वह अन्य कारणों को लेकर अधिक चर्चा में रहा है।
IPL में शुरुआती चर्चा खिलाडियों की नीलामी को लेकर हुई। क्रिकेट के मैदान में गेंद पर बल्ले से प्रहार करते और बल्ले को छकाकर विकेट उखाडते खिलाडी सब्जी के भाव बिकने को बाध्य हुए। कमतर खिलाडी उंचे दामों पर बिके और बेहतर खिलाडी नीचे दामों पर। रिकी पोंटींग इसके सबसे उम्दा उदाहरण थे।
पहले IPL के प्रारंभ होतें ही अर्धनग्न नाचती चीयर लीडर्स को लेकर बवाल मच गया। भारतीय परम्परा का हनन मानते हुए इसे लेकर संसद में भी सवाल उठा, नतिजतन चीयर लीडर्स को अधिक कपडे पहनने को बाध्य होना पडा।
दूसरे IPL के समय सरकार ने आमचुनावों को ध्यान में रखते हुए IPL को सुरक्षा उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया। कमिशनर ललित मोदी इसे दक्षिण अफ़्रिका ले गये। अब ये विवाद हुआ कि क्या यह वाकई इंडियन प्रीमियर लीग ही है? कुछ को लगा कि इससे समस्त विश्व में संदेश जायेगा कि भारत सूरक्षित जगह ही नहीं है।
इसी जगह ललित मोदी के विदेशी महिला से सांठ गांठ हुए जिसका वीजा रोकने के लिये उन्हें शशि थरुर से बात करनी पडी। इस IPL में सौरेभ गांगुली को कोलकाता टीम की कप्तानी से हटाया गया। बुचनैन से विवाद हुआ। और अनेक कर्मकांड के बाद भी कोलकाता निचले स्थान पर रही।
तीसरा IPL व्यावसायिक दृष्टि से जितना सफ़ल रहा विवादों के लिहाज से भी उतना ही गर्म। पुणे और कोच्ची फ़्रेंचाईजी की बिक्री के बाद भूचाल हो गया। मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया। शशि थरुर को अपना मंत्री पद गंवाना पडा और ललित मोदी् भी संभवतः IPL कमिशनर के पद से हाथ धोने जा रहें हैं। मैच के बाद होने वाली पार्टियों के बार में कहा जा रहा है कि यहां ड्रग का इस्तेमाल हो रहा है। इस IPL में हो रहे धनवृष्टि को देखते हुए सरकार ने इसकी ओर ध्यान दिया है और अब यह तमाम जांच एजेंसियों के घेरे में है। वैसे इसके भी राजनीतिक निहितार्थ हैं।
IPL शुरु होने से पहले ही पाकिस्तानी खिलाडियों को किसी भी टीम में ना लिये जाने ने भी विवाद खडा किया था।
IPL से जुडी खास बात चिंतनीय यह है कि ग्लैमर और पैसे ने क्रिकेट और क्रिकेटर को पीछे धकेल दिया है। अब ललित मोदी गौतम गंभीर जैसे खिलाडी को अपमानित करते हैं और रविन्द्र जडेजा को इसलिये प्रतिबंधित करते हैं कि उसने इस बाजार में अपनी कीमत खुद तय करने की कोशिश या हिम्मत कह लिजिये, की । पिछले IPL में कैफ़ जैसे खिलाडी को वापस भेज दिया गया, सौरभ गांगुली को अपमानित करके कप्तानी से हटाया गया।
IPL से जुडा तर्क यह भी है कि इसने कई नये खिलाडियों को उभरने का मौका दिया है। अखबार की रिपोर्ट यह बताती है कि कई उभरते खिलाडी बेंच पर बैठे रह जाते हैं और उन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिलता। इसने खिलाडियों की खलेन की उम्र और कंसिस्टेंसी भे कम कर दी है। कई कई देश के खिलाडियों ने एक साथ सन्यास लेकर टीम को मुश्किल मेंडाल दिया है।
IPL में उभरने वाले खिलाडियों को राष्ट्रीय तीम में भी जगह नहीं मिल पा रही है। इस बार IPL विश्व कप के लिये जो भारतीय टीम चुनी गयी है उससे इस IPL के सभी सफ़ल खिलाडी बाहर हैं। जैसे सबसे सफ़ल बल्लेबाज सचिन और गेंदबाज प्रग्यान ओझा। युवराज सिंह , पीयुष चावला जो टीम में हैं वो पूरे IPL के दौरान असफ़ल रहें हैं। कहा जा रहा है कि IPL की कमाई कि क्रिकेट के विकास पर खर्चा जायेगा पर स्टेट बोर्डों को मिलने वाला हिस्सा काफ़ी कम है।
IPL से जुडा मोदी का दावा है कि यह उनका सपना है। परंतु अगर सुभाष चंद्रा की ICL नहीं होती तो क्या IPL होता ?
अगर IPL को विश्व के सफ़ल स्पोर्ट्स लीग चैम्पियन्स लीग और एन. बी. की टक्कर का बताया जा रहा है तो इसे इनके जैसा बनाने के लिये ध्यान भी देना होगा। क्रिकेट को व्यावसायिकता के उपर तरज़ीह देनी होगी क्योंकि क्रिकेट है तभी IPL है और कमाई भी है।