सोमवार, 26 जुलाई 2010

सोनवा के पिंजरा

'गंगा मैया तोहे पियरी चढैबो' भोजपुरी की सबसे पहली फिल्म थी. यह सभी मायनों में एक बेहतरीन फिल्म है. भोजपुरी में वैसे बहुत अधिक सिनेमा बनने लगा है पर कोई भी इस स्तर को नहीं छू सका है. गीत और संगीत इस फिल्म की सशक्त पक्ष थे. गीत शैलेन्द्र ने लिखे थे और संगीत चित्रगुप्त का था. इस सिनेमा से यह गीत प्रस्तुत है जो भोजपुरी समाज में लड़की की स्थिति का कारुणिक चित्रण करता है. मोहम्मद रफ़ी के इस गाने को सुनकर अब भी आँखे नाम हो जाती है. यह गीत अर्थ के विविध स्तरों पर खुलता और भीतर तक उतरने को बाध्य करता है.


 
 
सोनवा के पिंजरा में बंद भईले हाय राम चिडई के जियवा उदास


टुट गईले डलिया छितर गईले खोतवा छुट गईले नील रे आकाश

सोनवा के पिंजरा में बंद भईले हाय राम चिडई के जियवा उदास

छलछल नैना निहारे चुप चिडई चैन निज देश हार मैया के दुआरवी

आंसुआ के मोतिया निसानी मोर बाबुला धरि गईनी हम तोरे पास

सोनवा के पिंजरा में बंद भईले हाय राम चिडई के जिनगी उदास

बिलखत रहि गईली संग के सहेलिया ले गईल बांध के निठुर रे बहेलिया

मोरे मन मीतवा भुला दे अब हमरा के छोडि के मिलन के तु आस

सोनवा….
http://www.youtube.com/watch?v=LIg5vC3sG-M