मंगलवार, 4 मार्च 2008

विरोध

विरोध
पौने दस बज चुके थे ,मै पन्द्रह मिनट लेट हो चुका था(हमेशा की तरह )। बस से उतरने के बाद मैंने अंदाजा लगाया ...पांच मिनट और ...और मैं क्लास में पहुँच जाऊंगा..क्लास भी अगर देरी से शुरू हुई हो पांच दस मिनट(जो आम तौर पे होता है ) तो चिंता की ....तभी फ़ोन का vibration घर घाराया और मेरे विचारो का क्रम टुटा। फ़ोन निकाल के देखा ..विजय का फ़ोन था ...फ़ोन रेसिव करते ही प्रश्न उछला कहाँ हो?बस पहुँचने वाला हूँ ...तुम कहाँ ..सुनो ,उसने बात काटते हुए कहा... मेरी attandence लगा देना ...क्यों?तुम नही आ रहे...नहीं, मैं एक प्रोटेस्ट मार्च में जा रहा हूँ...प्रोटेस्ट मार्च कैसा? ...अर वही "विश्विद्यालय के अनियमितता" केविरोध में...मेरी attandence लगा देना please...और फ़ोन कट गया.