आखिरी दांव भी खाली गया, रिजल्ट से निराश उसने अपने कमरे का मुआयना किया, ये सब लेकर कहां औरकैसे ? फ़िर बत्रा के लिये निकल गया
=======================================
सर प्लेट लाईये ना मोमो निकाला जाए. जुनियर ने दो बार कहा. हां बाबु टाईम से पीएच.डी. ना जमा हो तोसीनियर ही प्लेट लायेगा.
एनएसडी में पढ के क्या मिला? कार रूकती है और एक जुता बाहर निकलता है, उसे यहीं से निकला एक्टरसाफ़ करता है, क्या एक्टिंग है!
=============================
इस एक्शन का क्या मतलब है? अभिनेता ने पूछा. अगले दिन रिहलसल स्पेस पर उसकी भूमिका में कोईऔर था और वह भीड़ का हिस्सा
=============================
आईने में अपने आप को देखा, छोटे बालों में कितना अजीब, आंसु आ गए, उसका पेशा उसके बच्चों को चुभगया बाल काट दिये, जबरन..
==========================
सौ रूपया! देंगे लेकिन...और बच्चे के इलाज के लिये एक रात के कुछ छण, कीमत अधिक नहीं लगी.पतिलुधियाना था.पैसे दो महिने से नहीं आये थे
====================================
भूतपूर्व मुखिया ने उचटती हुई निगाह दरवाजे पर डाली और खाली पाकर बाल्टी में खुद पानी भरने लगे,टायलेट खुला हुआ ही था
======================
उनका हाथ झटकते हुए, अपना पल्लु संभाल कर कहा, हमलोग का इज्जत नहीं है का! बाबु साहेब
================================
उसने रास्ते पर उसका नाम लिखा, कोचिंग जाते हुए बड़े अक्षरो में अपना नाम देख, वह उस पर पैर रखते हुएबढ़ गई और मन में कहा बेवकुफ़!
=================================
फ़िर क्या हुआ? अड्रेस लिया कि नहीं...मुझे उसी दिन घर जाना पड़ा..तो लौटने के बाद?..वो पटना छोड़चुकी थी. और अब ?...कोई ट्रेस नहीं है
================================
आप चाहें तो हमारे बर्थ में आ कर बैठ सकती हैं, नहीं ठीक है. . बहुत अकड़ु है सर..जाने दो, इसलिये कहा थाना आजकल किसी की भलाई मत करो
===================================
टेलीविजन पर सत्या फ़िल्म चल रही थी, अंत आते आते वह फूट फूट कर रोने लगा, कल उसके आत्मसमर्पण का दिन था
===========================
बलराम बाबा ने गन्ना लगा कर गांव भर के लड़को को चौपट कर दिया है..चल निकल भाग इहां से..टांगे तोड़ देंगे...बित भर का जन्त आ काम,..
=============================================
उसने देखा एस.पी. साहेब के पीछे मंच पर खड़े लोगो का चेहरा वहीं था, इन्हें वह अपने होश से देख रहा था, अधिकारी बदल जाते थे लेकिन चमचे...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें