बैंग्लोर से शिमोगा की बसयात्रा के दौरान पहला पड़ाव |
बस से बाहर झांकने का नजारा |
शिमोगा बस अड्डे के बाहर |
सागर में मेरा कमरा |
नीनासम मेस का भोजन |
पत्ता नहीं है केले के पत्ते जैसा है |
हेग्गुड़ु का चौक जिसे सर्किल बोलते हैं |
सेमिनार कक्ष के बाहर बना अल्पना |
यक्षागान का ग्रीन रूम |
अंतिम पंकित में खड़ा हूं..और यह तंबु का भी पिछला हिस्सा है |
मंच के पास से भीड़ का नजारा |
मंच पर प्रदर्शक |
बैंग्लोर के रेस्टोरेंट में मैग्लोर की मछली |
तिरुपति का विहंगम दृश्य |
अरूंधती नाग |
रंग शंकरा |
बैंग्लोर का ट्रैफ़िक |
जोग जल प्रपात |
डेविड, मैं, बालकृष्ण, विनय, प्रवीण और ड्राईवर, मथुरा जी फ़ोटो ले रहें हैं. |
यहां सेविंग कराया..यहीं पे लोहिया जी की तस्वीर लगी ह |
नीनासम पुस्तकालय, यहां चप्पल उतार कर अंदर जाने का नियम है |
नीनासम प्रेक्षागॄह |
अल्पना रोज बदल जाता था |
नीनासम परिसर |
अल्पना फ़िर बदल गया |
यक्षगान का बाक्स आफ़िस |
इस दुकान से लगभग सभी ने खरीददारी की, इसमें बिकने वाले कपड़े यहीं बनते हैं |
वापसी |
1 टिप्पणी:
बधाई..... हमारी भी यादें ताज़ा हो गईं
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