aawaj
गुरुवार, 27 दिसंबर 2007
badlaw
जाने कितना बदल गया होगा
मेरे गजलों मी ढल गया होगा
रास्तों को वो जनता कब था
पाँव ही था फिसल गया होगा
बुधवार, 26 दिसंबर 2007
kadam
चल पड़े हैं तो किसी दिन ठहरना होगा
ये तमाशा किसी दिन हमे करना होगा
ले के उस पर न जाएगी जुदा रह कोई
भीड़
के साथ ही दलदल में उतरना होगा
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